10 Feb 2020, 05:39 am 1717 Views Saurabh

10 Powerful Sanskrit verses that will change your perspective about life

1. नातिक्रान्तानि शोचेत प्रस्तुतान्यनागतानि चित्यानि ।

One should not regret what is past. One should only think of the present and future.​

बीती बातों पर दुःख न मनाये। वर्तमान की तथा भविष्य की बातों पर ध्यान दें।


2. यथा चित्तं तथा वाचो यथा वाचस्तथा क्रिया ।
चित्ते वाचि क्रियायां च साधूनामेकरूपता ॥

As is the mind, so is the speech; as is the speech so is the action.
Of the good people there is uniformity in mind, speech and action.​


जैसा मन होता है वैसी ही वाणी होती है, जैसी वाणी होती है वैसे ही कार्य होता है ।
सज्जनों के मन​, वाणी और कार्य में एकरूपता (समानता) होती है ।


3.चरन्मार्गान्विजानाति ।

A wanderer (eventually) finds the path.​


पथिक व्यक्ती को मार्ग (अंत में) पता चल जाता ही है।


4. मूर्खस्य पञ्च चिह्नानि गर्वो दुर्वचनं तथा ।
क्रोधश्च दृढवादश्च परवाक्येष्वनादरः ॥

There are five signs of a fool; vanity, wicked conversation, anger, stubborn arguments, and a lack of respect for other people’s opinions.


मूर्ख के पाँच लक्षण हैं; घमंड, दुष्ट वार्तालाप, क्रोध, जिद्दी तर्क, और अन्य लोगों की राय के लिए सम्मान की कमी।


5. एतदपि गमिष्यति ।

This too shall pass.


यह भी चला जाएगा |


6. अपि मेरुसमं प्राज्ञमपि शुरमपि स्थिरम् ।
तृणीकरोति तृष्णैका निमेषेण नरोत्तमम् ॥

Even if a man has stead, clever, brave mind like the Meru mountain.
Greed can damage him like grass in a matter of moments.


भले ही कोई व्यक्ति मेरु पर्वत की तरह स्थिर, चतुर, बहादुर दिमाग का हो।
लालच उसे पल भर में घास की तरह खत्म कर सकता है।


7.पुवासांसि जीर्णानि यथा विहाय
नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि।
तथा शरीराणि विहाय जीर्णा-
न्यन्यानि संयाति नवानि देही॥

जैसे मनुष्य जीर्ण वस्त्रों को त्यागकर दूसरे नये वस्त्रों को धारण करता है
वैसे ही देही जीवात्मा पुराने शरीरों को त्याग कर दूसरे नए शरीरों को प्राप्त होता है।

As a man casts off worn-out garments and puts on others that are new,so does the soul cast off its worn-out bodies and enter into others that are new.


8. जातस्य हि ध्रुवो मृत्युर्ध्रुवं जन्म मृतस्य च।
तस्मादपरिहार्येऽर्थे न त्वं शोचितुमर्हसि॥

जन्मने वाले की मृत्यु निश्चित है और मरने वाले का जन्म निश्चित है इसलिए जो अटल है अपरिहार्य है उसके विषय में तुमको शोक नहीं करना चाहिये।

Death is certain for the born, and re-birth is certain for the dead; therefore you should not feel grief for what is inevitable.


9. क्रोधाद्भवति सम्मोहः सम्मोहात्स्मृतिविभ्रमः।
स्मृतिभ्रंशाद् बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति॥

क्रोध से उत्पन्न होता है मोह और मोह से स्मृति विभ्रम। स्मृति के भ्रमित होने पर बुद्धि का नाश होता है
और बुद्धि के नाश होने से वह मनुष्य नष्ट हो जाता है।

From anger there comes delusion; from delusion, the loss of memory; from the loss of memory,the destruction of discrimination; and with the destruction of discrimination, he is lost.


10. यथा चतुर्भिः कनकं परीक्ष्यते
निघर्षणच्छेदनतापताडनैः।
तथा चतुर्भिः पुरुषः परीक्ष्यते
त्यागेन शीलेन गुणेन कर्मणा॥

As gold is tested in four ways by rubbing, cutting, heating and beating – so a man should be tested by these four things: his renunciation, his conduct, his qualities, and his actions.

जिस तरह सोने की परख घिसने से, तोडने से, गरम करने से और पिटने से होती है, वैसे हि मनष्य की परख विद्या, शील, गुण और कर्म से होती है ।